ಬುಧವಾರ, ಡಿಸೆಂಬರ್ 26, 2018

ನವೆಂಬರ್ ತಿಂಗಳ ಟಾಪ್-30 ಪ್ರಚಲಿತ ವಿಷಯ


नासा द्वारा सूर्य व उसके बाहरी वातावरण के अध्ययन के लिए भेजा गया पहला अंतरिक्षयान पार्कर सोलर प्रोब सूरज के सबसे करीब जाने वाला मानवनिर्मित अंतरिक्षयान बन गया है. नासा ने इस उपलब्धि को ट्वीट करते हुए कहा, 'हम सूर्य को छूने के और पास पहुंच गए हैं.


इस यान ने सूर्य के 4.3 करोड़ किलोमीटर करीब से गुज़रने का रिकॉर्ड तोड़ दिया है और इससे पहले यह रिकॉर्ड जर्मन-अमेरिकी अंतरिक्षयान हीलियस-2 के नाम पर था. पार्कर सोलर प्रोब सात साल तक सूरज का चक्कर लगाते हुए सूर्य का अध्ययन करेगा. यह यान सूर्य की बाह्य परत कोरोना के पास रहेगा. कोरोना का तापमान 10 लाख डिग्री सेल्सियस होता है. नासा के इस अभियान का उद्देश्य कोरोना के पृथ्वी की सतह पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करना है.


 



विश्व बैंक की 'ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस' रिपोर्ट में भारत ने 23 स्थानों की ज़बरदस्त छलांग लगाते हुए 77वां स्थान हासिल किया है. विश्व बैंक ने 31 अक्टूबर 2018 को वैश्विक कारोबार सुगमता (ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस) रिपोर्ट जारी की. भारत का यह रैंकिंग अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. दस में से 8 मानकों में भारत की स्थिति सुधरी है.


दरअसल, पिछले वर्ष 190 देशों की सूची में भारत को पहली बार शीर्ष 100 में जगह मिली थी. पिछले 2 वर्षों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स की रैंकिंग में सुधार करने वाले टॉप 10 देशों में भारत भी शामिल है. वहीं, दक्षिण एशियाई देशों में भारत की रैंक फर्स्ट है. इससे पहले साल 2014 में भारत 6वें स्थान पर था.


 



रोहित शर्मा 01 नवम्बर 2018 को तिरुवनंतपुरम में वेस्ट इंडीज के खिलाफ पांचवें मैच के दौरान वनडे इतिहास में सबसे तेज़ 200 छक्के लगाने वाले खिलाड़ी बन गए. रोहित शर्मा ने विंडीज के खिलाफ पांचवें और अंतिम वनडे में अपनी नाबाद 63 रन की पारी में चार छक्के लगाने के दौरान यह उपलब्धि हासिल की.


हिटमैन के नाम से मशहूर रोहित शर्मा ने बल्लेबाजी करते हुए जैसे ही दूसरा छक्का जड़ा वह एकदिवसीय क्रिकेट में छक्कों का दोहरा शतक जड़ने वाले खिलाड़ियों की सूची में शामिल हो गए. रोहित शर्मा यह उपलब्धि हासिल करने वाले महेंद्र सिंह धोनी के बाद दूसरे भारतीय और ओवरऑल 7वें बल्लेबाज बन गए हैं.


 



भारत ने 30 नवम्बर 2018 को परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम स्वदेश निर्मित अग्नि-1 बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक रात्रि परीक्षण किया. सामरिक बल कमान ने अभियान तैयारियों को मजबूत करने के लिए डॉ अब्दुल कलाम द्वीप से मिसाइल का परीक्षण किया. सूत्रों ने परीक्षण को सफल बताते हुए कहा कि परीक्षण के दौरान सभी लक्ष्यों को हासिल कर लिया गया है.


अग्नि-1 मिसाइल स्वदेशी तकनीक से विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली परमाणु सक्षम मिसाइल है. मिसाइल को रेल व सड़क दोनों प्रकार के मोबाइल लांचरों से छोड़ा जा सकता है. यह मिसाइल 700 किलोमीटर की दूरी तक के लक्ष्य को भेद सकती है. इसकी मारक क्षमता काफी अधिक है और सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करके दुश्मनों को तबाह कर सकती है.


 



ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 30 अक्टूबर 2018 को ‘सौरा जलनिधि’ योजना का शुभारंभ किया. इस योजना का उद्देश्य किसानों द्वारा सिंचाई में सौर उर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना है. राज्य सरकार ने उन क्षेत्रों में सोलर फोटोवोल्टिक पंप सेट्स का प्रयोग बढ़ाने का फैसला किया है, ताकि जहां बिजली व्यवस्था बदहाल है, वहां सिंचाई की सुविधा मुहैया कराई जा सके.


इस योजना के तहत किसानों को 90 फीसदी सब्सिडी पर 5,000 सोलर पंप दिए जाएंगे. इससे राज्य के 2,500 एकड़ क्षेत्र में सिंचाई का लाभ मिलेगा. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने योजना का वेब पोर्टल भी लांच किया. इस इवेंट में 30 जिलों के किसानों ने विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिये भाग लिया.


 



नासा का ग्रहों की खोज करने वाला केपलर स्पेस टेलिस्कोप मिशन समाप्त हो गया है. यह दूरबीन नौ साल की सेवा के बाद रिटायर होने वाला है. वैज्ञानिकों ने बताया है कि 2,600 ग्रहों की खोज में मदद करने वाले केपलर दूरबीन का ईंधन खत्म हो गया है इसलिए इसे रिटायर किया जा रहा है.


नासा के अनुसार केप्लर का ईंधन खत्म होने के संकेत करीब दो सप्ताह पहले ही मिले थे. उसका ईंधन पूरी तरह से खत्म होने से पहले ही वैज्ञानिक उसके पास मौजूद सारा डेटा एकत्र करने में सफल रहे. नासा का कहना है कि फिलहाल केप्लर धरती से दूर सुरक्षित कक्षा में है.


 



भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास ने भारत का पहला स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर विकसित और डिजाईन किया है. इस माइक्रोप्रोसेसर को ‘शक्ति’ नाम दिया गया है. यह स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर जल्द मोबाइल फोन, सर्विलांस कैमरा और स्मार्ट मीटर्स को ताकत देने में सहायता करेगा. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन, चंडीगढ़ की सेमी कंडक्टर लैब में माइक्रोचिप के साथ इसे बनाया गया है..


आईआईटीएम की राइज लैब के लीड रिसर्चर प्रफेसर कामकोटी वीजीनाथन का कहना है कि वर्तमान डिजिटल इंडिया में बहुत सारी एप्स को कस्टमाइज्ड प्रोसेसर कोर की आवश्यकता रहती है. हमारे नए डिजाइन के साथ ये सभी चीजें काफी आसान हो जाएंगी. इससे आयात की गई माइक्रो चिप पर निर्भरता कम होगी. साथ ही इन माइक्रो चिप की वजह से होने वाले साइबर अटैक का खतरा भी कम होगा.


 



भारत की सामरिक परमाणु पनडुब्बी अर्थात् न्यूक्लियर पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत ने 05 नवंबर 2018 को अपना पहला गश्ती अभियान सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर न्यूक्लियर पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत के अधिकारियों और कर्मियों से मुलाकात की.


पनडुब्बी अरिहंत के इस अभ्यास से भारत के नाभिकीय त्रिकोण की पूर्ण स्थापना हुई. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा इस मौके पर मैं आईएनएस अरिहंत के क्रू और उन सभी को बधाई देता हूं जो उस काम में शामिल रहे हैं जो इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि यह उपलब्धि भारत को उन गिने-चुने देशों की अग्रिम पंक्ति में खड़ी करती है जो एसएसबीएन को डिज़ाइन करने, उसे बनाने और उसके संचालन करने की क्षमता रखते हैं.


 



केन्द्रीय रेल मंत्रालय ने टिकट लेने के लिए लंबी-लंबी लाइनों से छुटकारा दिलाने को लेकर रेलयात्रियों के लिए यूटीएस (अनरिजर्व्ड टिकटिंग सिस्टम) मोबाइल ऐप लॉन्च किया है. इस ऐप के माध्यम से यात्री अपने एंड्रायड मोबाइल पर ही टिकट बुक कर सकता है. इस ऐप की सहायता से अनारक्षित टिकट, सीजन टिकट तथा प्लेटफार्म टिकट की बुकिंग की जा सकती है. अब यात्रियों को टिकट लेने के लिए लम्बी कतारों में खड़ा रहने की आवश्यकता नहीं होगी.


यह टिकट पेपर रहित होगा. इससे कागज की बर्बादी नहीं होगी वहीं पर्यावरण को भी बढ़ावा मिलेगा. इससे जहां प्लेटफार्म टिकट, अनारक्षित (जनरल) टिकट व मासिक पास भी बनवाया जा सकता है. इस ऐप के द्वारा टिकट खिड़की पर लगने वाली लंबी लाइन से छुटकारा मिलेगा. टिकट पेपर रहित होने से पर्यावरण को बढ़ावा होगा. इस ऐप के द्वारा टीटीई को टिकट दिखाने के लिए इंटरनेट की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. यह सेवा कैशलेस है.


 



अमेरिका ने भारत-चीन समेत आठ देशों को ईरान से तेल आयात करने की छूट दे दी है. बाकी छह देश जापान, इटली, ग्रीस, दक्षिण कोरिया, ताईवान और टर्की हैं. यह जानकारी अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने दी. ईरान के पेट्रोलियम और बैंकिंग सेक्टर पर अमेरिकी प्रतिबंध 05 नवम्बर 2018 से लागू हो गए. ये ईरान पर लगे अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध हैं. उम्मीद है कि इस प्रतिबंध से ईरान सरकार के बर्ताव में बदलाव आएगा.


सरकारी तेल कंपनियों की तरफ से मिली सूचना के मुताबिक भारत को मई 2019 तक हर महीने 12.5 लाख टन कच्चा तेल ईरान से खरीदना होगा. इस तरह से भारतीय तेल कंपनियां 75 लाख टन अतिरिक्त कच्चा तेल खरीदने का समझौता कर सकेंगी. भारत ने वर्ष 2017 में ईरान से 2.25 करोड़ टन कच्चा तेल खरीदा था. पिछले वर्ष तक सऊदी अरब और इराक के बाद भारत ने सबसे ज्यादा तेल ईरान से खरीदा था. वर्ष 2018 के पहले तीन-चार महीनों तक ईरान भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया था.


 



भारतीय सेना में 09 नवम्बर 2018 को दो तोपों को शामिल किया गया है. 30 साल के लंबे अंतराल के बाद भारतीय सेना में किसी तोप को शामिल किया गया है. इनमें एक अमेरिकन तोप है तो दूसरी कोरियन तोप है. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने देवलाली में एम 777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर और के 9 वज्र सेल्फ़ प्रोपेल्ड गन को सेना को सौंपा. बोफोर्स के बाद ये पहली 155 एमएम तोप है जो कि भारतीय सेना में शामिल हुई है. इससे आर्टिलरी की ताक़त में इज़ाफ़ा होगा.


के-9 वज्र के प्रोजेक्ट पर 4,366 करोड़ रुपए और एम-777 होवित्जर के प्रोजेक्ट पर 5070 करोड़ रुपए खर्च किए जायेंगे. यह काम नवंबर 2020 तक पूरा होगा. सेना को के-9 श्रेणी की 100 तोपें सौंपी जानी है। इस महीने 10 तोपें सौंपी जाएंगी. अगली 40 तोपें नवंबर 2019 में और बाकी 50 तोपें नवंबर 2020 तक सौंपी जाएंगी.


 



हरमनप्रीत कौर ने 09 नवम्बर 2018 को तूफानी बल्लेबाजी करते हुए अंतरराष्ट्रीय ट्वेंटी-20 मैच में केवल 49 गेंदों में शतक बना डाला. हरमनप्रीत कौर ने अपनी शतकीय पारी में 8 छक्के और 7 चौके लगाए. उन्होंने 76 रन सिर्फ बाउंड्री से हासिल कर लिए. अपनी शतकीय पारी के साथ ही उन्होंने कई रिकॉर्ड्स को तोड़ा तथा नये रिकॉर्ड्स भी बनाए.


कप्तान हरमनप्रीत ने पहले 50 रन 33 गेंदों में और अगले 50 रन मात्र 16 गेंदों में ही बना डाले थे. हरमनप्रीत कौर भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं जिसने टी20 इंटरनेशनल में शतक ठोका है. उन्होंने मिताली राज के 97 रन के स्कोर को पीछे छोड़ा. हरमनप्रीत कौर वर्ल्ड टी20 में शतक लगाने वाली पहली भारतीय महिला कप्तान हैं. वैसे यह कारनामा करने वाली वो दुनिया की महज तीसरी कप्तान हैं.


 



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 नवंबर 2018 को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को 2400 करोड़ रुपये की सौगात दी. उन्होंने यहां रामनगर स्थित पहले वॉटर वेज टर्मिनल का उद्घाटन किया. इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य आदि मौजूद थे.


प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में देश के पहले मल्टी-मॉडल टर्मिनल समेत 2413 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास करने के बाद आयोजित जनसभा को संबोधित भी किया. यह जलमार्ग वाराणसी-हल्दिया मार्ग पर बनाया गया है. गंगा नदी में बंगाल से वाराणसी तक पोत का परिचालन शुरू हो गया है. आज़ाद भारत में पहली बार गंगा के रास्ते एक कंटेनर कोलकाता से वाराणसी पहुंचा है.


 



भारत और इंडोनेशिया के मध्य पहला दिवपक्षीय नौसौनिक अभ्यास ‘समुद्र शक्ति’ इंडोनेशिया के द्वीप सुराबाया पर आरंभ किया गया. यह नौसेनिक अभ्यास 12 नवम्बर 2018 से शुरू हुआ है जो 18 नवम्बर तक चलेगा. यह माना जा रहा है कि इस संयुक्त अभ्यास से भारत और इंडोनेशिया के बीच नौसैनिक सहयोग का एक नया दौर शुरु होगा.


इस संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य आपसी रिश्तों को विस्तार देना, समुद्री सहयोग को गहरा करना औऱ एक-दूसरे की श्रेष्ठ प्रथाओं को अपनाना है. अभ्यास का हार्बर फेज 12 से 15 नवम्बर तक चलेगा. इस दौरान दोनों देशों के नौसैनिक एक-दूसरे के युद्धपोतों का दौरा करेंगे और आपसी वार्ता करेंगे. इसके बाद 15 से 18 नवम्बर तक सी- फेज चलेगा.


 



भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 14 नवंबर 2018 को गाजा नामक तूफान के खतरे की आशंका के बावजूद आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से संचार उपग्रह जीसैट-29 का सफल प्रक्षेपण किया. इसरो द्वारा प्रक्षेपित किये गये जीसैट-29 उपग्रह को भारत के लिए काफी अहम माना जा रहा है. इससे जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट पहुंचाने में मदद मिलेगी.


इस उपग्रह का वजन 3,423 किलोग्राम है तथा यह उपग्रह इसरो के सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-एमके3-डी2 के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया. जीसैट-29 शाम 5:08 बजे लॉन्च किया गया. यह श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ 67वां और भारत का 33वां संचार सैटेलाइट है.


 



ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी (ग्लोबोकेन) द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में पिछले छह वर्षों में भारी वृद्धि दर्ज की गई है. यह आंकड़े वर्ष 2012 से 2018 तक के हैं. इन आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में लगभग 11.57 लाख कैंसर के मामलें दर्ज किये गए, जो कि वर्ष 2012 में दर्ज 10 लाख मामलों की तुलना में 15.7 प्रतिशत अधिक हैं.


वर्ष 2012 में कैंसर के कारण सात लाख लोगों की मौत हुई थी जबकि वर्ष 2018 में कैंसर के कारण होने वाली मौतों की संख्या में 12.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार होंठ और ओरल कैंसर की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि देखने को मिली है. वर्ष 2012 की तुलना में अब तक 114.2% की वृद्धि दर्ज की गई है. वर्ष 2018 में 1.62 लाख स्तन कैंसर के मामले सामने आए जो कि वर्ष 2012 की तुलना में10.7 प्रतिशत अधिक हैं. वर्ष 2012 के 1.45 लाख मामले सामने आये थे.


 



आंध्र प्रदेश के विभाजन के करीब चार वर्षों बाद राज्य ने आधिकारिक उपयोग के लिए अपने नए राज्य चिह्न को स्वीकार कर लिया है. आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा जारी जानकारी में बताया गया कि यह चिह्न अमरावती कला से प्रेरित है और इसमें हरे, लाल व पीले रंग का उपयोग हुआ है. इसके अलावा राज्य चिह्न के नीचे राष्ट्रीय चिह्न को भी जगह दी गई है.


आंध्र प्रदेश का राजकीय प्रतीक अमरावती स्कूल ऑफ आर्ट से प्रेरित है. इसमें 'धम्म चक्र', शामिल है जो बौद्ध प्रतीक के साथ सजाया जाता है जिसमें पिनाट पत्तियों और कीमती पत्थरों के साथ बनाया जाता है. सजावटी मोतियों को तीन चक्रों में आरोही क्रम में लगाया गया है. आंतरिक चक्र में 48, बीच में 118 और बाहरी चक्र में 148 मोती लगाए गये हैं.‘पंमा घाटक'  अथवा 'फूलदान' 'धम्म चक्र' के केंद्र में है.


 



वैज्ञानिकों ने 16 नवंबर 2018 को सर्वसम्मति से किलोग्राम की परिभाषा बदलने का निर्णय लिया है. इस नई परिभाषा के परिणामस्वरूप पेरिस में 1889 में अपनाए गए प्लैटिनम अलॉय सिलिंडर का उपयोग बंद हो जाएगा.


प्लैंक कांस्टेंट द्वारा पुनर्परिभाषित नए सिस्टम में द्रव्यमान की यूनिट इलेक्ट्रिकल फोर्स के ज़रिए निर्धारित होती है. ये नए बदलाव 20 मई 2019 से वर्ल्ड मेट्रोलोजी डे पर प्रभाव में आएंगे. वैज्ञानिकों ने किलोग्राम की परिभाषा बदल दी है. नई परिभाषा को 50 से ज़्यादा देशों ने सर्वसम्मति से मंजूरी भी दे दी है.


 



एरोस्पेस ऐंड डिफेंस कंपनी  नॉर्थरॉप ग्रूमैन (Northrop Grumman) का सिग्नस कार्गो अंतरिक्षयान 19 नवम्बर 2018 को आइसक्रीम, ताज़े फल, मेडिकल ज़रूरतें और स्पेस सूट समेत 3,350  किलोग्राम सामान के साथ अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंच गया. ग्रूमैन का आईएसएस के लिए यह 10वां कमर्शियल रीसप्लाई मिशन है. विशेष बात यह है कि यह अंतरिक्षयान आईएसएस में फरवरी 2019  तक बना रहेगा.


सिग्नस कार्गो एयरक्राफ्ट द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के छह अंतरिक्ष यात्रियों के लिए 3350 किलोग्राम सामान ले जाया गया है. इसमें फ्रोज़न फ्रूट बार, आइसक्रीम, आइसक्रीम सैंडविच, चॉकलेट कप्स तथा वनीला आइसक्रीम आदि चीजें भेजी गई हैं. सिग्नस को एस.एस. जॉन यंग का नाम भी दिया गया है. स्पेसक्राफ्ट को यह नाम उनके द्वारा पहले स्पेस शटल की कमांड संभाले जाने के चलते उन्हें सम्मान के तौर पर दिया गया है.


 



हाल ही में किये गये अध्ययन में पाया गया कि जलवायु परिवर्तन के कारण ही सिंधु घाटी सभ्यता का विनाश हुआ था. इसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है. शोधकर्ताओं ने समुद्री जीवाश्म और इसके डीएनए का उपयोग करके यह निष्कर्ष निकाला है कि जलवायु परिवर्तन के प्रकोप के कारण ही हड़प्पा सभ्यता की समाप्ति हुई.


वैज्ञानिकों के एक अंतर्राष्ट्रीय समूह द्वारा किये गए इस अध्ययन का शीर्षक ‘नियोग्लेशियल क्लाइमेट एनॉमलीज़ एंड हड़प्पाई मेटामॉरफोसिस था. सिंधु घाटी के तापमान तथा मौसम के पैटर्न में बदलाव की वज़ह से ग्रीष्मकालीन मानसूनी बारिश में धीरे-धीरे कमी आने लगी जिस वज़ह से हड़प्पाई शहरों के आस-पास कृषि कार्य किया जाना मुश्किल या असंभव हो गया.


 



अंतरिक्ष में 20 नवम्बर 2018 को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र ने 20 साल पूरे किए. अंतरिक्ष को करीब से जानने समझने के लिए 20 नवंबर 1998 को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आइएसएस) को अंतरिक्ष में स्थापित किया गया था. स्टेशन के संचालन का काम प्रमुख रूप से अमेरिका और रूस के हाथ में है. इनके सहयोग हेतु जापान, कनाडा और यूरोपीय संघ भी शामिल हैं.


यह स्टेशन 17,500 मील प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी का चक्कर लगा रहा पृथ्वी से अंतरिक्ष में भेजी गई अब तक की सबसे बड़ी वस्तु है. पृथ्वी के अधिकतर हिस्से से बिना किसी उपकरण के देखा जा सकने वाला यह केंद्र आकार में किसी फुटबाल मैदान जितना बड़ा है.


 



घरेलू क्रिकेट में रन बटोरने वाले भारतीय टेस्ट टीम के पूर्व ओपनर वसीम जाफर ने अपने नाम एक नया रिकॉर्ड दर्ज करा लिया है. वह रणजी ट्रॉफी में 11,000 रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज बन गए हैं. जाफर ने विदर्भ की तरफ से बड़ौदा के खिलाफ 153 रन की शानदार खेली और इस बीच 11,000 रन भी पूरे किए. जाफर ने इस बीच फैज फजल (151) के साथ 300 रन की साझेदारी की.


चालीस वर्षीय वसीम जाफर रणजी ट्रॉफी में मुंबई की ओर से भी खेल चुके हैं. उन्होंने ओपनर की हैसियत से भारत की ओर से भी 31 टेस्ट  मैच और दो वनडे खेले हैं. टेस्ट क्रिकेट में उनके नाम पर 34.1 के औसत से 1944 रन हैं, इस दौरान 212 रन उनका सर्वोच्च स्कोर रहा है. टेस्ट क्रिकेट में पांच शतक और 11 अर्धशतक वसीम जाफर के नाम पर दर्ज हैं. हालांकि वनडे इंटरनेशनल का उनका सफर बेहद छोटा रहा, दो वनडे में वे केवल 10 रन ही बना पाए.


 



वैज्ञानिकों ने मिल्की वे आकाशगंगा में एक नए और विशाल तारामंडल की मौजूदगी का पता लगाया गया है. यह सुपरनोवा स्थिति में पाया गया है लेकिन यह तारामंडल उन मौजूदा सिद्धांतों को चुनौती देता है कि बड़े सितारों का अस्तित्व अंतत: कैसे खत्म हो जाता है.


अमेरिका के न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में नासा के एक रिसर्चर बेंजमिन पोप ने कहा, “हमारी आकाशगंगा में खोजा गया यह अपने आप में एक अनोखा तारामंडल है.”


इस खोज में नीदरसलैंड इंस्टिट्यूट फॉर रेडियो एस्ट्रोनॉमी, द यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिडनी, यूनिवर्सिटी ऑफ़ एडिनबर्ग, यूनिवर्सिटी ऑफ़ शेफील्ड तथा यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यू साउथ वेल्स के वैज्ञानिक शामिल थे. इस तारामंडल के बारे में विस्तार से नेचर एस्ट्रोनोमी पत्रिका में बताया गया है और इसे 'एपेप' (Apep) नाम दिया गया है.


 



बीबीसी ने 19 नवम्बर 2018 को विश्व की 100 प्रभावशाली महिलाओं की सूची जारी की. इसमें विश्व के अलग-अलग देशों की 100 महिलाओं को स्थान दिया गया है. इस सूची में जहां भारत की तीन महिलाएं हैं, वहीं पाकिस्तान की एक महिला शामिल है जो कि एक हिंदू हैं. इस सूची में 15 से 60 वर्ष की 100 महिलायें हैं जिन्हें 60 देशों से चयनित किया गया है.


इस सूची में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की बेटी चेल्सिया क्लिंटन का भी नाम है. उन्हें क्लिंटन फाउंडेशन के लिए उल्लेखनीय कार्य करने के लिए नामित किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने लाचार सीरियाई छात्रा नुजीन मुस्तफा के जरिये शरणार्थियों की मदद की.


 



भारत की वरिष्ठ महिला बॉक्सिंग खिलाड़ी एम. सी. मैरी कॉम ने 24 नवंबर 2018 को आईबा महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के 10वें संस्करण में 48 किलोग्राम भार वर्ग का खिताब अपने नाम किया. इससे पहले मैरी कॉम ने साल 2002, 2005, 2006, 2008 और साल 2010 में विश्व चैंपियनशिप का खिताब अपनी झोली में डाला था.


मैरी कॉम ने फाइनल में यूक्रेन की हना ओखोटा को 5-0 से हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया. इसी के साथ मैरीकॉम छह वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने वाली दुनिया की पहली खिलाड़ी बन गई हैं. मैरी कॉम ने एक खिताब 45 किग्रा, तीन वर्ल्ड खिताब 46 किग्रा भार वर्ग और आखिरी दो खिताब 48 किग्रा वजन वर्ग मे जीते हैं.


 



संयुक्त राष्ट्र ने 25 नवंबर 2018 को उत्तर प्रदेश के नोएडा और ग्रेटर नोएडा का चयन वैश्विक सतत शहर 2025 पहल में हिस्सा लेने के लिए किया. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे गौतमबुद्धनगर जिले के शहरों नोएडा और ग्रेटर नोएडा का चयन ‘यूनिवर्सिटी सिटी’’ श्रेणी में भारत से एकमात्र स्थान के तौर पर आमंत्रित किया गया है.


वैश्विक सतत शहरों के निर्माण हेतु सितंबर 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सतत विकास लक्ष्य-2030 कार्यक्रम को अपनाया था. इसमें 17 लक्ष्य निर्धारित किये गये थे जिन्हें वैश्विक लक्ष्यों के नाम से जाना जाता है. इन लक्ष्यों का उद्देश्य गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति तथा सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देना था.


 



भारत के उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने 26 नवंबर 2018 को करतारपुर कॉरिडोर की आधारशिला रखी. शिलान्यास के दौरान समारोह में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू के साथ पंजाब के गवर्नर वीपी सिंह बदनौर, मुख्यमंत्री कैप्टन अमिरंदर सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल, कैबिनेट मंत्री सुखिजंदर सिंह रंधावा, कैबिनेट विजय इंद्र सिंगला, सुखबीर सिंह बादल, पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ समेत अन्य कई राजनीतिक शख्सियतें उपस्थित रहे.


केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि गुरुदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक से लेकर अंतरराष्ट्रीय सीमा तक एक करतारपुर करॉरिडोर बनाया जाएगा. यह वैसा ही होगा, जैसे कोई बहुत बड़ा धार्मिक स्थल होता है. यहां पर वीजा और कस्टम की सुविधा मिलेगी. इसको व्यापक तरीके से करतारपुर साहिब कॉरिडोर के तहत विकसित किया जायेगा जिसकी लम्बाई लगभग तीन किलोमीटर होगी. इस कॉरिडोर को भारत सरकार फंड करेगी.


 



पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गुरू नानक देव के प्रकाश पर्व पर 23 नवंबर 2018 को राज्य में मुख्य परियोजनाओं की आधारशिला रखी.  गुरु नानक देव के 550वें जयंती वर्ष कार्यक्रमों के तहत 150 करोड़ रुपये लागत वाली 26 विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया.


सरकार गुरु नानकदेवजी मार्ग के निर्माण की योजना भी बना रही है. मुख्यमंत्री ने स्मृति सिक्के और डाक टिकट जारी करने के केंद्र के फैसले का भी स्वागत किया. गौरतलब है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म 1469 में हुआ था. इस वर्ष उनकी 549वीं जयंती मनाई गई है.


 



जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग (Jammu-Kashmir Assembly) हो गई है. यह कार्रवाई तब हुई, जब 21 नवम्बर 2018 को विभिन्न पार्टियों की ओर से सरकार बनाने का दावा पेश किया गया. इसके तत्काल बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक की ओर से विधानसभा भंग करने की कार्रवाई की गई.


राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने धारा 53 के तहत विधानसभा भंग करने का आदेश दिया. इससे पहले पीडीपी ने एनसी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया था. विधानसभा भंग होने के बाद सरकार बनने की सारी संभावनाएं खत्म हो गई हैं.


 



नासा का इनसाइट लैंडर मंगल ग्रह की सतह पर सुरक्षित उतर गया है. यह यान 26-27 नवंबर 2018 की रात भारतीय समयानुसार 1 बजकर 24 मिनट पर मंगल ग्रह की सतह पर पहुंचा. यह ग्रह की सतह पर उतरने के दौरान 12,300 मील प्रति घंटे की रफ्तार से छह मिनट के भीतर शून्य की रफ्तार पर आ गया.


इसके बाद यह पैराशूट से बाहर आया और अपने तीन पैरों पर लैंड किया. नासा ने इस यान को मंगल ग्रह के निर्माण की प्रक्रिया को समझने के लिए और इस ग्रह से जुड़े नए तथ्यों का पता लगाने के लिए तैयार किया है.


मार्स ‘इंटीरियर एक्सप्लोरेशन यूजिंग सीस्मिक इंवेस्टिगेशंस, जियोडेसी एंड हीट ट्रांसपोर्ट’ (इनसाइट) लेंडर को मई 2018 में लॉन्च किया गया था. इससे पहले वर्ष 2012 में ‘क्यूरियोसिटी रोवर’ के को भेजा गया था जिसने मंगल ग्रह के बारे में पुख्ता जानकारियां पृथ्वी पर भेजी थीं.


ಮಂಗಳವಾರ, ಡಿಸೆಂಬರ್ 25, 2018

ಅಂತಾರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಬೇಳೆಕಾಳು ವರ್ಷ: 2016

ಅಂತಾರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಬೇಳೆಕಾಳು ವರ್ಷ: 2016


ಮನುಷ್ಯ ತನ್ನ ಸುದೀರ್ಘಕಾಲದ ಅನುಭವದಿಂದ ಕೆಲವು ಆಹಾರ ಶರೀರದ ಬೆಳವಣಿಗೆ ಮತ್ತು ಸದೃಢತೆಗೆ ಅತ್ಯಗತ್ಯ ಎಂದು ಕಂಡುಕೊಂಡಿದ್ದಾನೆ. ಆಧುನಿಕ ಸಂಶೋಧನೆಗಳು ಇದನ್ನು ಪುಷ್ಟೀಕರಿಸಿ, ಈ ಬಗ್ಗೆ ಇನ್ನಷ್ಟು ಬೆಳಕು ಚೆಲ್ಲಿವೆ.


ನಮ್ಮ ಶರೀರಕ್ಕೆ ಆಹಾರದ ಏಳು ಘಟಕಗಳು ಅತ್ಯಗತ್ಯ ಎಂದು ಸಂಶೋಧಕರು ಪಟ್ಟಿ ಮಾಡಿದ್ದಾರೆ.  ದೇಹಕ್ಕೆ ಶಕ್ತಿಯನ್ನು ಪೂರೈಸುವುದು ಕಾರ್ಬೋಹೈಡ್ರೇಟ್ ಮತ್ತು ಲಿಪಿಡ್ ಎಂದು ಗುರುತಿಸಲಾಗಿದೆ. ದೇಹದ ಬೆಳವಣಿಗೆಗೆ ಪ್ರೋಟೀನ್, ನೀರು ಮತ್ತು ಖನಿಜಗಳು ಅತ್ಯಗತ್ಯ. ವಿಟಮಿನ್ ಮತ್ತು ಖನಿಜಗಳು ನಿಯಂತ್ರಕಗಳಾಗಿ ಕಾರ್ಯನಿರ್ವಹಿಸಿದರೆ, ನಾರು ಪದಾರ್ಥವು ತ್ಯಾಜ್ಯವನ್ನು ಹೊರ ಹಾಕುವ ಕಾರ್ಯಕ್ಕೆ ನೆರವಾಗುವುದೆಂದು ಕಂಡುಕೊಳ್ಳಲಾಗಿದೆ.  ನಾವು ಸೇವಿಸುವ ಆಹಾರದಲ್ಲಿ ಈ ಎಲ್ಲ ಘಟಕಗಳು ಸೂಕ್ತ ಪ್ರಮಾಣಗಳಿದ್ದರೆ, ಅದನ್ನು ಸಮತೋಲನ ಆಹಾರವೆಂದು ಹೇಳಲಾಗುತ್ತದೆ.

ಸಂಶೋಧನೆಯಿಂದ ಕಂಡು ಬಂದಿರುವ ಅಂಶವೆಂದರೆ, ಶರೀರದ ಬೆಳವಣಿಗೆ ಮತ್ತು ಸದೃಢತೆಗೆ  ಕಾರ್ಬೋಹೈಡ್ರೇಟ್ ಮತ್ತು ಲಿಪಿಡ್ ಗಳು ಅಗತ್ಯ,  ದೇಹದ ಬೆಳವಣಿಗೆಗೆ ಸಹಕಾರಿಯಾಗಿರುವುದು ಪ್ರೋಟೀನ್, ನೀರು ಮತ್ತು ಖನಿಜಗಳು. ಜೊತೆಗೆ ವಿಟಮಿನ್ ಮತ್ತು ಖನಿಜಗಳು ನಿಯಂತ್ರಕಗಳಾಗಿ ಕಾರ್ಯನಿರ್ವಹಿಸಬಲ್ಲವು ಎಂದು ಕಂಡುಕೊಳ್ಳಲಾಗಿದೆ. ನಾರು ಪದಾರ್ಥವು ತ್ಯಾಜ್ಯವನ್ನು ಹೊರ ಹಾಕುವ ಕಾರ್ಯಕ್ಕೆ ನೆರವಾಗಬಲ್ಲದೆಂಬ ಕಾರಣಕ್ಕೆ ಅದಕ್ಕೂ ಆಹಾರದ ಘಟಕಗಳಲ್ಲಿ ಸ್ಥಾನ ನೀಡಲಾಗಿದೆ. ಈ ಎಲ್ಲ ಘಟಕಗಳು ಸೂಕ್ತ ಪ್ರಮಾಣಗಳಿದ್ದಂತಹ ಆಹಾರವನ್ನು ಸಮತೋಲನ ಆಹಾರವೆನ್ನುತ್ತಾರೆ.

          ದೇಹದ ಬೆಳವಣಿಗೆಗೆ ಅತ್ಯಗತ್ಯವಾದ ಪ್ರೋಟೀನ್‌ಗಳ ಮೂಲ ಆಕರ ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳು. ವಿವಿಧ ಕಾರಣಗಳಿಂದ ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳನ್ನು ಬೆಳೆಯುವ ಪ್ರಮಾಣ ಕಡಿಮೆಯಾಗಿದೆ. ಅದೇ ಸಮಯದಲ್ಲಿ ವಿಶ್ವದೆಲ್ಲೆಡೆ ಜನರನ್ನು ಅಪೌಷ್ಠಿಕತೆ ಕಾಡುತ್ತಿದೆ. ಅಪೌಷ್ಠಿಕತೆ ತೊಡೆದುಹಾಕುವಲ್ಲಿ  ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳು ಮಹತ್ವದ ಪಾತ್ರ ವಹಿಸುತ್ತವೆ. ಈ ಹಿನ್ನೆಲೆಯಲ್ಲಿ  ವಿಶ್ವಸಂಸ್ಥೆಯ ಆಹಾರ ಮತ್ತು ಕೃಷಿ ಸಂಘಟನೆ(ಎಫ್‌ಎಒ), 2016ನೆಯ ವರ್ಷವನ್ನು ಅಂತಾರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಬೇಳೆ ಕಾಳುಗಳ ವರ್ಷವೆಂದು ಘೋಷಣೆ ಮಾಡಿದೆ.

ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳು ನಮಗೇಕೆ ಮುಖ್ಯ?

          ನಮ್ಮ ಆಹಾರದ ಪ್ರಮುಖ ಭಾಗವಾಗಿರುವ ಧಾನ್ಯಗಳನ್ನು ಮೂರು ಗುಂಪುಗಳಲ್ಲಿ ಗುರುತಿಸಲಾಗುತ್ತದೆ. ಅವುಗಳೆಂದರೆ ದ್ವಿದಳ ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳು, ಏಕದಳ ಕಾಳುಗಳು ಮತ್ತು ಮಿಲೆಟ್‌  ಅಥವಾ ಸಣ್ಣಕಾಳುಗಳು. ವಿವಿಧ ಬಣ್ಣ ಹಾಗೂ ಗಾತ್ರಗಳಲ್ಲಿ ದ್ವಿದಳ ಧಾನ್ಯಗಳು ಲಭ್ಯ. ಲೆಗ್ಯುಮಿನೇಸಿ ಕುಟುಂಬದ ಸಸ್ಯಗಳ ಗುಂಪು, ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳನ್ನು ಉತ್ಪಾದಿಸುತ್ತದೆ.

          ಸಸ್ಯಮೂಲದ ಪ್ರೊಟೀನ್, ಅಮೈನೋ ಆಮ್ಲ ಹಾಗೂ ಇತರ ಉಪಯುಕ್ತ ಪೋಷಕಾಂಶಗಳು ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳಲ್ಲಿವೆ. ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳಿಗೆ ಕೆಲವು ರೋಗಗಳನ್ನು ತಡೆಯುವ ನಿರೋಧಕ ಶಕ್ತಿ ಇದೆ ಹಾಗೂ  ಬೊಜ್ಜು ತಡೆಯಲು ಇವುಗಳ ಸೇವನೆ ಅಗತ್ಯವೆಂದು ವಿಜ್ಞಾನಿಗಳು ಮನಗಂಡಿದ್ದಾರೆ.

          ದ್ವಿದಳ ಧಾನ್ಯಗಳನ್ನು ಬೆಳೆಯುವುದರಿಂದ ಭೂಮಿಯ ಫಲವತ್ತತೆಯೂ ಉಳಿಯುತ್ತದೆ ಎನ್ನುವುದು ತಿಳಿದು ಬಂದಿದೆ.  ಲೆಗ್ಯುಮಿನೇಸಿ ಕುಟುಂಬದ ಸಸ್ಯಗಳ ಬೇರುಗಳಲ್ಲಿ ಆಶ್ರಯ ಪಡೆಯುವ ರೈಜೋಬಿಯಮ್ ಬ್ಯಾಕ್ಟೀರಿಯ, ಸಾರಜನಕ ಸ್ಥಿರೀಕರಣದಲ್ಲಿ ಮಹತ್ವದ ಪಾತ್ರ ವಹಿಸುತ್ತದೆ.  ವಾತಾವರಣದಲ್ಲಿ ಮುಕ್ತವಾಗಿ ಸಿಗುವ ಸಾರಜನಕವನ್ನು ರೈಜೋಬಿಯಮ್ ಬ್ಯಾಕ್ಟೀರಿಯ ಹೀರಿಕೊಂಡು, ನೈಟ್ರೇಟ್ ರೂಪಕ್ಕೆ ಪರಿವರ್ತನೆ ಮಾಡುವುದರಿಂದ ಭೂಮಿಯ ಫಲವತ್ತತೆ ಹೆಚ್ಚುತ್ತದೆ.

ಅಂತಾರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳ ವರ್ಷಾಚರಣೆಯ ಉದ್ದೇಶಗಳು

ಅಂತಾರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳ ವರ್ಷಾಚರಣೆಯ ಹಿಂದೆ ಅನೇಕ ಉದ್ದೇಶಗಳಿವೆ.

ಸುಸ್ಥಿರ ಆಹಾರ ಮತ್ತು ಪೌಷ್ಟಿಕತೆಯಲ್ಲಿ ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳ ಪಾತ್ರದ ಕುರಿತು ಜಾಗೃತಿ ಮೂಡಿಸುವುದು.


ಜಾಗತಿಕ ಮಟ್ಟದಲ್ಲಿ ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳ ಉತ್ಪಾದನೆಯನ್ನು ಹೆಚ್ಚಿಸುವಂತೆ ಉತ್ತೇಜಿಸುವುದು.


ಹೆಚ್ಚು ಇಳುವರಿ ನೀಡುವ ತಳಿ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಸಂಶೋಧನೆಗಳನ್ನು ಪ್ರೋತ್ಸಾಹಿಸುವುದು.


ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳ ಇಳುವರಿ ಹೆಚ್ಚಿಸಿ, ಆ ಮೂಲಕ ಅವುಗಳ ಬಳಕೆ ಹೆಚ್ಚಿಸುವುದು.


          ಕಾಬೂಲುಕಡಲೆ ಪ್ರಪಂಚದಲ್ಲೇ ಪ್ರಸಿದ್ಧ. ಭಾರತ, ಬಾಂಗ್ಲಾದೇಶ, ಪಾಕಿಸ್ತಾನಗಳಲ್ಲಿ ಮೊದಲಿನಿಂದಲೂ ದ್ವಿದಳ ಧಾನ್ಯದ ಬಳಕೆಗೆ ಒತ್ತು ಇದೆ. ನಮ್ಮ ದೇಶದಲ್ಲಿ ರುಚಿಕರ ದಾಲ್-ರೋಟಿ, ಹೆಸರುಬೇಳೆ ಪಾಯಸವೂ ಜನಪ್ರಿಯ.

ದ್ವಿದಳ ಧಾನ್ಯಗಳನ್ನು  ಬೆಳೆಯುವುದರಿಂದ ಅನೇಕ ಪ್ರಯೋಜನಗಳಿವೆ.

1.ಪ್ರೋಟೀನ್ ಆಕರ: ಸಾಮಾನ್ಯವಾಗಿ ಪ್ರೋಟೀನ್ ಆಕರಗಳಾಗಿ ಪ್ರಾಣಿ ಮೂಲದ ಮಾಂಸ, ಹಾಲಿನ ಉತ್ಪನ್ನಗಳು, ಮೀನು ಬಳಕೆಯಲ್ಲಿವೆ.  ಆಹಾರ ಧಾನ್ಯ ಹಾಗೂ ಬೇಳೆ ಕಾಳುಗಳನ್ನು ಸೂಕ್ತ ಪ್ರಮಾಣದಲ್ಲಿ ಸೇವಿಸುದರಿಂದ ಕೂಡ ಶರೀರಕ್ಕೆ ಅಗತ್ಯ ಪ್ರಮಾಣದ ಪ್ರೋಟೀನ್ ದೊರೆಯುತ್ತದೆ. ಅಪೌಷ್ಠಿಕತೆಯಿಂದ ನರಳುವ ಮಕ್ಕಳಲ್ಲಿ ಪೋಷಣಾ ಮರಾಸ್ಮಸ್ (ಮೈಸವೆತ), ಕ್ವಾಷಿಯೋರಕರ್  ದಂತಹ  ರೋಗಗಳು ಕಂಡು  ಬರುತ್ತವೆ. ಬೆಳವಣಿಗೆಯಾಗದ ದೇಹ, ಬಡಕಲು ಕೈ ಕಾಲುಗಳು, ಜೋತು ಬಿದ್ದ ಚರ್ಮ ಇವೆಲ್ಲ ಲಕ್ಷಣಗಳು ಕಾಣತೊಡಗುತ್ತವೆ.

 ಮಾಂಸ,ಮೀನು,ಹಾಲಿನ ಉತ್ಪನ್ನಗಳನ್ನು ಹೆಚ್ಚು ದಿನ ಸಂಗ್ರಹಿಸಿಡಲು ಸಾಧ್ಯವಿಲ್ಲ. ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳನ್ನು ಹಲವು ತಿಂಗಳುಗಳವರೆಗೆ ಸುಲಭವಾಗಿ ಸಂಗ್ರಹಿಸಿಡಬಹುದು. ಗಮನಿಸಬೇಕಾದ ಅಂಶವೆಂದರೆ, ಆ ಸಮಯದಲ್ಲಿ ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳಲ್ಲಿನ ಪೋಷಕಾಂಶದ ಪ್ರಮಾಣ ನಾಶವಾಗುವುದಿಲ್ಲ ಎಂಬುದು.

ಪಶು ಆಹಾರ: ಒಣಗಿದ ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳ ತೊಗಟೆ, ತವಡು ಇವುಗಳನ್ನು ಪಶು ಆಹಾರವನ್ನಾಗಿ ಉಪಯೋಗ ಮಾಡಲಾಗುತ್ತದೆ. ಇವು ಪ್ರಾಣಿಗಳ ಆರೋಗ್ಯವನ್ನು ಕಾಪಾಡುವಲ್ಲಿ ಸಹಕಾರಿ.


ಖನಿಜಾಂಶ: ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳಲ್ಲಿ ಲಿಪಿಡ್ ಪ್ರಮಾಣ ತುಂಬಾ ಕಡಿಮೆ ಮತ್ತು ಕೊಲೆಸ್ಟ್ರಾಲ್ ಇಲ್ಲ. ಸಾಕಷ್ಟು ಪ್ರಮಾಣದಲ್ಲಿ ನಾರು ಇದೆ.ಹಾಗೆಯೇ ಪೊಟ್ಯಾಸಿಯಮ್,ರಂಜಕ,ಕ್ಯಾಲ್ಸಿಯಮ್,ಮೆಗ್ನೀಸಿಯಮ್,ಕಬ್ಬಿಣ ಮುಂತಾದ ಖನಿಜಾಂಶಗಳನ್ನು ಹೊಂದಿವೆ.


ಪರಿಸರ ಸ್ನೇಹಿ: ಕಡಿಮೆ ನೀರಿನ ಲಭ್ಯತೆ ಇರುವ ವಾತಾವರಣದಲ್ಲೂ ಚೆನ್ನಾಗಿ ಬೆಳೆಯಬಲ್ಲ ದ್ವಿದಳಧಾನ್ಯದ ತಳಿಗಳಿವೆ. ಒಂದು ಅಂದಾಜಿನಂತೆ ಒಂದು ವರ್ಷಕ್ಕೆ ಒಂದು ಹೆಕ್ಟೇರ್ ನಷ್ಟು ಪ್ರದೇಶದಲ್ಲಿನ ದ್ವಿದಳ ಧಾನ್ಯದ ಸಸ್ಯಗಳು 350 ಕಿಲೊಗ್ರಾಮಿನಷ್ಟು ಸಾರಜನಕವನ್ನು ಸಾರಜನಕ ಸ್ಥಿರೀಕರಣ ಕ್ರಿಯೆಗೆ ಒಳಪಡಿಸುತ್ತವೆ. ಇದರಿಂದಾಗಿ ರಾಸಾಯನಿಕ ಸಾರಜನಕಯುಕ್ತ ಗೊಬ್ಬರ ಬಳಕೆಯನ್ನು ಕಡಿಮೆಗೊಳಿಸಿದಂತಾಗುತ್ತದೆ. ಈ ರೀತಿ ಹಸಿರುಮನೆ ಪರಿಣಾಮವನ್ನು ತಗ್ಗಿಸಲು ಸಹಕಾರಿ.


ಸುಸ್ಥಿರ ಕೃಷಿ: ದ್ವಿದಳ ಧಾನ್ಯದ ಬೆಳೆಗಳು ಮಣ್ಣಿನಲ್ಲಿ ರಂಜಕಯುಕ್ತ ಮಣ್ಣು ಸವಕಳಿಯಾಗದಂತೆ ತಡೆಯುತ್ತವೆ. ಹುಲ್ಲು ಮತ್ತು ಇತರ ಏಕದಳ ಸಸ್ಯಗಳಿಗಿಂತಲೂ ಹೆಚ್ಚಿನ ಪ್ರಮಾಣದಲ್ಲಿ ಮಣ್ಣಿನ ಫಲವತ್ತತೆಯನ್ನು ಹೆಚ್ಚಿಸುತ್ತವೆ.


ಸವಾಲುಗಳು

ರೈತರಿಗಿರುವ ಮಾಹಿತಿಯ ಕೊರತೆಯೇ, ದ್ವಿದಳಧಾನ್ಯಗಳನ್ನು ಬೆಳೆಯುವಲ್ಲಿ ನಿರಾಸಕ್ತಿ ತೋರಲು ಕಾರಣ ಇರಬಹುದು.


ಧಾನ್ಯಗಳಿಗೆ ಸಮಾಧಾನಕರ ಬೆಲೆ ಸಿಗದೇ ಇರುವುದು.


ಹೊಸ ಹೊಸ ತಳಿಗಳ ಅಭಿವೃದ್ಧಿಯೆಡೆಗೆ ನಡೆಯದ ಸಂಶೋಧನಾ ಕಾರ್ಯಗಳು.


ಬಂಡವಾಳದ ಕೊರತೆ.


ಸಾಧ್ಯತೆಗಳು..

ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳ ಉತ್ಪಾದನೆಯಲ್ಲಿ ಮುಂಚೂಣಿಯಲ್ಲಿರುವ ರಾಷ್ಟ್ರಗಳ ರೈತರ ಅನುಭವಗಳನ್ನು ಕಡಿಮೆ ಉತ್ಪಾದನೆ ಇರುವ ರಾಷ್ಟ್ರಗಳ ರೈತರ ಜೊತೆ ಹಂಚಿಕೊಳ್ಳುವಂತಹ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮವನ್ನು ಹಮ್ಮಿಕೊಳ್ಳುವುದು.


ಜಾಗತಿಕ ಮಟ್ಟದಲ್ಲಿ ದ್ವಿದಳಧಾನ್ಯಗಳನ್ನು ಬೆಳೆಯುವಂತೆ ಉತ್ತೇಜಿಸಲು ಹಣಕಾಸಿನ ನೆರವು ನೀಡುವುದು.


ದ್ವಿದಳ ಧಾನ್ಯಗಳ ಮಹತ್ವದ ಬಗ್ಗೆ ಅರಿವು ಮೂಡಿಸುವುದು.


ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳನ್ನು ಬಳಸಿ ಹೊಸ ಹೊಸ ತಿನಿಸುಗಳನ್ನು ತಯಾರಿಸುವುದು.


ಮುಗಿಸುವ ಮುನ್ನ

ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳಿಂದ ಇಷ್ಟೆಲ್ಲ ಪ್ರಯೋಜನಗಳಿದ್ದರೂ, ಅವುಗಳ ಉತ್ಪಾದನೆ ಮಾತ್ರ ಸಮಾಧಾನಕರವಾಗಿಲ್ಲ. 171 ಕ್ಕಿಂತಲೂ ಹೆಚ್ಚು ರಾಷ್ಟ್ರಗಳಲ್ಲಿ ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳನ್ನು ಬೆಳೆಯಲಾಗುತ್ತಿದೆ. ಆದರೆ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಹೊಂದುತ್ತಿರುವ ರಾಷ್ಟ್ರಗಳಲ್ಲಿ ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳ ಉತ್ಪಾದನೆ ಅಷ್ಟಕ್ಕಷ್ಟೆ. ಮುಂದುವರೆದ ರಾಷ್ಟ್ರಗಳಲ್ಲಿ ಮಾತ್ರ ಉತ್ಪಾದನೆಯ ಪ್ರಮಾಣ ಗಣನೀಯವಾಗಿದೆ. ಫ್ರಾನ್ಸ್, ಕೆನಡಾ, ಅಮೇರಿಕಾ, ಭಾರತ ಮುಂತಾದ ದೇಶಗಳು ದ್ವಿದಳ ಧಾನ್ಯಗಳ ಉತ್ಪಾದನೆಯಲ್ಲಿ ಮುಂಚೂಣಿಯಲ್ಲಿವೆ. ಎಲ್ಲ ದೇಶಗಳಲ್ಲೂ ಈ ಬಗ್ಗೆ ಅರಿವು ಮೂಡಬೇಕೆಂಬುದೇ ಅಂತಾರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಬೇಳೆಕಾಳುಗಳ ವರ್ಷದ ಘೋಷಣೆಯ ಹಿಂದಿನ ಆಶಯ.

ನಮ್ಮ ಜೀವನದಲ್ಲಿ ವೈರಾಣುಗಳ ಪಾತ್ರ

ನಮ್ಮ ಜೀವನದಲ್ಲಿ ವೈರಾಣುಗಳ ಪಾತ್ರ


ವೈರಾಣುವು ಜೀವಿಯೋ ಅಲ್ಲವೋ ಎಂಬುದರ ಬಗ್ಗೆ ಇರುವ ಅನುಮಾನಗಳನ್ನು ಪಕ್ಕಕ್ಕಿಟ್ಟು, ವೈರಸ್ಗಳಿಂದ ನಮಗಿರುವ ಅನುಕೂಲ ಹಾಗೂ ಅಪಾಯಗಳ ಮೇಲೆ ಬೆಳಕು ಚೆಲ್ಲುವ ಪ್ರಯತ್ನ ಇಲ್ಲಿದೆ; ವೈರಾಣುಗಳ ಅನನ್ಯ ಗುಣವಿಶೇಷಗಳ ಕಾರಣದಿಂದ, ನೈಸರ್ಗಿಕ ಹಾಗೂ ಮಾನವನಿರ್ಮಿತ ಉಪಯುಕ್ತತೆ, ಅಷ್ಟೇ ಅಲ್ಲದೆ, ಸಸ್ಯಗಳು, ಪ್ರಾಣಿಗಳು ಹಾಗೂ ಮಾನವರಲ್ಲಿ ವೈರಾಣುಗಳು ಉಂಟುಮಾಡುವ ಕಾಯಿಲೆಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಕೂಡ ಗಮನಿಸೋಣ.


ಸಸ್ಯಗಳಲ್ಲಿ ವೈರಾಣುಜನ್ಯ ರೋಗಗಳು

ವೈರಾಣುಗಳು, ಆಹಾರ ಬೆಳೆಗಳು ಹಾಗೂ ವಾಣಿಜ್ಯಿಕ ಬೆಳೆಗಳಲ್ಲಿ ಏಕರೂಪದ ಸೋಂಕು ಉಂಟುಮಾಡುತ್ತವೆ. ಕಬ್ಬು, ತಂಬಾಕು, ಜೋಳ, ಅವರೆಕಾಯಿ, ಮೆಣಸಿನಕಾಯಿ, ಹೂಕೋಸು, ಸೇಬು, ದ್ರಾಕ್ಷಿ, ಸೌತೆಕಾಯಿ ಬೆಳೆಗಳಲ್ಲಿ ಎಲೆ ಮಚ್ಚೆ ರೋಗಗಳಿಗೆ ವೈರಾಣುಗಳು ಕಾರಣವಾಗುತ್ತವೆ. ಈ ರೋಗದ ಪರಿಣಾಮವಾಗಿ ಸಸ್ಯಗಳು ತಕ್ಷಣ ಸಾವನ್ನಪ್ಪುವುದಿಲ್ಲ; ಆದರೆ, ಎಲೆಗಳ ಮೇಲೆ ಗಾಢ ಹಸಿರು ಹಾಗೂ ತಿಳಿ ಹಸಿರು ಬಣ್ಣದ ಮಚ್ಚೆಗಳು ಮೂಡಿ, ಎಲೆಗಳ ಕೆಲವು ಭಾಗಗಳು ಸಾಯುತ್ತವೆ; ಇದರ ಫಲವಾಗಿ ಸಸ್ಯದ ಒಟ್ಟಾರೆ ಬೆಳವಣಿಗೆ ಹಾಗೂ ಇಳುವರಿಯಲ್ಲಿ ಇಳಿಕೆ ಕಂಡುಬರುತ್ತದೆ. ಹತ್ತಿ, ಟೊಮೇಟೊ, ಪಪ್ಪಾಯ ಬೆಳೆಗಳಲ್ಲಿ ಎಲೆ ಸುರುಳಿ ರೋಗಗಳನ್ನು, ವಿವಿಧ ವೈರಾಣುಗಳು ಉಂಟುಮಾಡುತ್ತವೆ. ಈ ರೋಗದ ಹೆಸರೇ ಸೂಚಿಸುವಂತೆ, ಎಲೆಗಳು ಸುರುಳಿ ಸುತ್ತಿಕೊಂಡು, ಮುರುಟುತ್ತವೆ. ಮುರುಟಿದ ಎಲೆಗಳಲ್ಲಿ ಎಷ್ಟರಮಟ್ಟಿಗೆ ದ್ಯುತಿಸಂಶ್ಲೇಷಣೆ ನಡೆದೀತು? ಇದರ ಫಲವಾಗಿ ಹಣ್ಣುಗಳ ಸಂಖ್ಯೆ ಹಾಗೂ ಗುಣಮಟ್ಟದಲ್ಲಿ ಇಳಿಕೆ ಕಂಡುಬರುತ್ತದೆ. ಸೋಂಕಿಗೆ ಈಡಾದ ಎಲೆಗಳು ಬಹಳ ಬೇಗ ಉದುರುತ್ತವೆ ಕೂಡ. ಸಸ್ಯದ ಒಟ್ಟಾರೆ ಬೆಳವಣಿಗೆ ಹಾಗೂ ಇಳುವರಿಯಲ್ಲಿ ಇಳಿಕೆ ಕಂಡುಬರುತ್ತದೆ. ವಿವಿಧ ವೈರಾಣುಗಳು ಭತ್ತ, ಟೊಮೇಟೊ, ಕಡ್ಲೇಕಾಯಿ ಸಸ್ಯಗಳನ್ನು ಗಿಡ್ದಾಗಿಸೋ ರೋಗವನ್ನು ಉಂಟುಮಾಡುತ್ತವೆ. ಹುಟ್ಟಿನಿಂದಲೇ ಕುಂಠಿತ ಬೆಳವಣಿಗೆಯನ್ನು ಪ್ರದರ್ಶಿಸುವ ಈ ರೋಗಗ್ರಸ್ತ ಬೆಳೆಗಳು, ಸರಿಯಾದ ಸಮಯಕ್ಕೆ ಹೂವು, ಕಾಯಿ, ಹಣ್ಣುಗಳನ್ನು ಬಿಡದೇ, ಬೆಳವಣಿಗೆಯ ಜೊತೆಗೇ ಇಳುವರಿಯಲ್ಲೂ ಇಳಿಕೆಯನ್ನು ತೋರ್ಪಡಿಸುತ್ತವೆ.

ಪ್ರಾಣಿಗಳಲ್ಲಿ ವೈರಾಣುಜನ್ಯ ರೋಗಗಳು

ಪ್ರಾಣಿ ಪಕ್ಷಿಗಳನ್ನೂ ವೈರಾಣುಗಳ ಕಾಟ ಬಿಟ್ಟಿಲ್ಲ; ಜಾನುವಾರು, ಬೆಕ್ಕು, ನಾಯಿ, ಕೋಳಿ, ಬಾತು ಕೋಳಿಗಳನ್ನು ಒಳಗೊಂಡಂತೆ ನಮ್ಮ ಜೀವನದಲ್ಲಿ ಪ್ರತ್ಯಕ್ಷವಾಗಿ ಹಾಗೂ ಪರೋಕ್ಷವಾಗಿ ಹಾಸುಹೊಕ್ಕಾಗಿರುವ ಪ್ರಾಣಿ ಪಕ್ಷಿಗಳಲ್ಲಿ ಬಹಳಷ್ಟು ಮಾರಕ ರೋಗಗಳಿಗೆ ವೈರಾಣುಗಳು ಕಾರಣ. ಕುದುರೆಗಳಲ್ಲಿ ಕಂಡುಬರುವ ಜೌಗು ಜ್ವರ, ಜಾನುವಾರು, ಬೆಕ್ಕು, ಇಲಿಗಳಲ್ಲಿ ಕಂಡುಬರುವ ರಕ್ತದ ಕ್ಯಾನ್ಸರ್, ಆಹಾರ ಮೆಲುಕು ಹಾಕುವ ಜಾನುವಾರು, ಜಿಂಕೆ, ಜಿರಾಫೆಯಂತಹ ಪ್ರಾಣಿಗಳಲ್ಲಿ ಶ್ವಾಸಕೋಶದ ಉರಿಯೂತ (ನ್ಯುಮೋನಿಯ), ಸಂಧಿವಾತ ಮತ್ತು ನರಸಂಬಂಧಿ ರೋಗಗಳಿಗೆ ವೈರಾಣುಗಳು ಕಾರಣವಾಗುತ್ತವೆ. ಮಾಂಸಾಹಾರ ಉದ್ದಿಮೆಗೆ ಅಪಾರ ಪ್ರಮಾಣದ ಆರ್ಥಿಕ ನಷ್ಟ ಉಂಟುಮಾಡುವ ಕೋಳಿಜ್ವರ, ಹಂದಿಜ್ವರಕ್ಕೂ ವೈರಾಣುಗಳೇ ಕಾರಣ. ಜಾನುವಾರುಗಳಲ್ಲಿ ಒಂದರಿಂದ ಮತ್ತೊಂದಕ್ಕೆ ಕಾಡ್ಗಿಚ್ಚಿನಂತೆ ಹರಡುವ ಕಾಲು-ಬಾಯಿ ರೋಗವೂ ವೈರಾಣುಗಳ ಕೊಡುಗೆಯೇ. ನಾಯಿಗಳಲ್ಲಿ ಕಂಡುಬರುವ ರೇಬಿಸ್ನಂತಹ ಮಾರಣಾಂತಿಕ ರೋಗಕ್ಕೂ ವೈರಾಣುವೇ ಕಾರಣ, ಇತ್ತೀಚಿಗೆ ಮನುಷ್ಯರನ್ನೂ ಕಂಗೆಡಿಸಿದ ಎಬೋಲ ವೈರಸ್ ಮತ್ತು ನಿಪಾಹ್ ವೈರಸ್ಗಳು, ಪ್ರಾಣಿಗಳಲ್ಲೂ ಕಾಯಿಲೆ ಉಂಟುಮಾಡುತ್ತವೆ. ಎಬೋಲ ವೈರಾಣುವು ಮಂಗ, ಚಿಂಪಾಂಜಿ, ಗೊರಿಲ್ಲಾ, ಬಾವಲಿಗಳಲ್ಲಿ ಜ್ವರ, ತಲೆನೋವು, ಸುಸ್ತು, ಭೇದಿ, ಅನಿಯಮಿತ ಆಂತರಿಕ ರಕ್ತಸ್ರಾವವನ್ನು ಉಂಟುಮಾಡುತ್ತದೆ ಹಾಗೂ ನಿಪಾಹ್ ವೈರಾಣುವು  ಬಾವಲಿಗಳಲ್ಲಿ, ಹಂದಿ, ಬೆಕ್ಕು, ನಾಯಿಗಳಲ್ಲಿ  ಶ್ವಾಸಕೋಶ ಸಂಬಂಧಿ ಸಮಸ್ಯೆ ಹಾಗೂ ಮೆದುಳುಜ್ವರ ಉಂಟುಮಾಡುತ್ತದೆ.

ಮನುಷ್ಯರಲ್ಲಿ ವೈರಾಣುಜನ್ಯ ರೋಗಗಳು

ವೈರಾಣುಗಳು ಮನುಷ್ಯರಲ್ಲಿ ಉಂಟುಮಾಡುವ ರೋಗಗಳ ಯಾದಿ ಬಹಳ ದೊಡ್ಡದಿದೆ; ಸಾಮಾನ್ಯವಾಗಿ ಹಲವಾರು ವೈರಾಣುಜನ್ಯ ಕಾಯಿಲೆಗಳು ಮಾರಣಾಂತಿಕವೆಂದು ಕಂಡುಬಂದಿವೆ. ಆದರೆ, ಈಗೀಗ ಸುಧಾರಿತ ವೈದ್ಯಕೀಯ ತಪಾಸಣೆ ಮತ್ತು ಚಿಕಿತ್ಸೆಯ ಲಭ್ಯತೆ ಜೊತೆಗೆ ಕಾಯಿಲೆಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಜನರಲ್ಲಿ ಹೆಚ್ಚಿದ ಅರಿವು, ಇವುಗಳ  ತೀವ್ರತೆಯನ್ನು ಕಡಿಮೆಗೊಳಿಸಿವೆ.

ಕೆಲವು ದಶಕಗಳ ಹಿಂದೆ ಪ್ರಾಣಾಂತಿಕವೆಂದು ಸಾಬೀತಾಗಿದ್ದ, ಸಾವಿರಾರು ಎಳೆಯ ಜೀವಗಳನ್ನು ಬಲಿಪಡೆದಿದ್ದ ಸಿಡುಬು, ವೇರಿಯೋಲಾ ವೈರಾಣುವಿನ ಕೊಡುಗೆ. ಅದರ ಸೌಮ್ಯವಾದ ಆವೃತ್ತಿಯಾದ ಚಿಕನ್ ಪಾಕ್ಸ್ ಅಥವಾ ಸಣ್ಣಮ್ಮ ಎಂದು ಕರೆಯಲಾಗುವ ಕಾಯಿಲೆಯು, ಹರ್ಪಿಸ್ ಜ್ಹಾಸ್ಟರ್ ವೈರಾಣುವಿನಿಂದ ಉಂಟಾಗುತ್ತದೆ.  ಈಗ ಚುಚ್ಚುಮದ್ದು ಲಭ್ಯವಿರುವ ಪೋಲಿಯೋ ರೋಗಕ್ಕೂ ವೈರಸ್ಗಳೇ ಕಾರಣ. ಶ್ವಾಸಕೋಶ ಹಾಗೂ ಚರ್ಮಕ್ಕೆ ಸಂಬಂಧಿತ ದಡಾರ, ಗಂಟಲು ಹಾಗೂ ಲಾಲಾರಸ ಗ್ರಂಥಿಗಳ ಊತ ರೋಗವಾದ ಮಂಪ್ಸ್ ಅಥವಾ ಗದ್ದಬಾವು ಕೂಡ ವೈರಾಣುಜನ್ಯ ರೋಗಗಳೇ. ಚಿಕಿತ್ಸೆ ಲಭ್ಯವಾಗದಿದ್ದಲ್ಲಿ ಕುರುಡುತನಕ್ಕೆ ಕಾರಣವಾಗುವ ರವೆಗಣ್ಣು ರೋಗಕ್ಕೆ, ಕ್ಲಮೈಡಿಯ ಎಂಬ ವೈರಾಣುವು ಕಾರಣ., ಸಾಮಾನ್ಯವಾಗಿ ಹವಾಮಾನ ಬದಲಾವಣೆಯಾದ ತಕ್ಷಣ ಕಾಡುವ ನೆಗಡಿ, ಮೈಕೈನೋವು ಜ್ವರಕ್ಕೂ ಮಿಕ್ಸೋವೈರಸ್ ಎಂಬ ವೈರಾಣುವು ಕಾರಣ.

ವೈರಾಣುಗಳ ನೈಸರ್ಗಿಕ ಉಪಯುಕ್ತತೆ

ವೈರಾಣುಗಳು ಬ್ಯಾಕ್ಟೀರಿಯಾಗಿಂತಲೂ ಗಾತ್ರದಲ್ಲಿ ಚಿಕ್ಕದಾಗಿದ್ದು, ಬ್ಯಾಕ್ಟೀರಿಯಾದ ಜೀವಕೋಶದಲ್ಲಿನ ಕೋಶಾಂಶಗಳನ್ನು ತನ್ನ ಉಳಿವಿಗಾಗಿ ಬಳಸಿಕೊಳ್ಳುತ್ತವೆ; ತಮ್ಮ ಚಯಾಪಚಯ ಕ್ರಿಯೆ ಹಾಗೂ ಸಂತಾನೋತ್ಪತ್ತಿ ನಡೆದ ನಂತರ, ಬ್ಯಾಕ್ಟೀರಿಯಾದ ಜೀವಕೋಶವನ್ನು ಒಡೆದು ಹೊರಬರುತ್ತವೆ. ಹೀಗೆ, ಬ್ಯಾಕ್ಟೀರಿಯಾದೊಳಗೆ ಸೋಂಕುಂಟು ಮಾಡಿ, ಅವುಗಳ ನಾಶಕ್ಕೆ ಕಾರಣವಾಗುವ ‘ಬ್ಯಾಕ್ಟೀರಿಯೋಫಾಜ್’ ಎಂಬ ಈ ವೈರಾಣುಗಳು, ಕೆಲವು ಅಪಾಯಕಾರಿ ಬ್ಯಾಕ್ಟೀರಿಯಾದ ನಿರ್ನಾಮಕ್ಕೆ ನೈಸರ್ಗಿಕವಾಗಿ ಸಹಕಾರಿ.

ಇದೇ ‘ಬ್ಯಾಕ್ಟೀರಿಯೋಫಾಜ್’ ಎಂಬ ವೈರಾಣುಗಳು, ನದಿ – ಕೆರೆ – ಸಮುದ್ರಗಳಲ್ಲಿ ಹೆಚ್ಚುವ ಶೈವಲಗಳನ್ನು(ಆಲ್ಗೆ) ಇದೇ ರೀತಿ ನಾಶಪಡಿಸಿ, ಜಲಪಾತ್ರದ ಪರಿಸರೀಯ ಸಮತೋಲನವನ್ನು ಕಾಪಾಡುತ್ತವೆ. ಜಲವಾಸಿ ಸಸ್ಯಗಳ ದ್ಯುತಿಸಂಶ್ಲೇಷಣೆಯನ್ನು ಹೆಚ್ಚಿಸುವಲ್ಲಿ ಪರೋಕ್ಷ ಪಾತ್ರವಹಿಸುವ ಈ ವೈರಾಣುಗಳು, ವಾತಾವರಣದಲ್ಲಿರುವ ಇಂಗಾಲದ ಡೈ ಆಕ್ಸೈಡ್ನ ಪ್ರಮಾಣ ತಗ್ಗಿಸುವಲ್ಲಿ ಸಹಕಾರಿ.

ವೈರಾಣುಗಳ ಮಾನವ ನಿರ್ಮಿತ ಉಪಯುಕ್ತತೆ

ವೈರಸ್ಗಳನ್ನು ತಳಿವಿಜ್ಞಾನ, ಜೈವಿಕ ತಂತ್ರಜ್ಞಾನ ಹಾಗೂ  ಪ್ರತಿರಕ್ಷಾವಿಜ್ಞಾನದ ಸಂಶೋಧನೆಗಳಲ್ಲಿ ವ್ಯಾಪಕವಾಗಿ ಬಳಸಲಾಗುತ್ತದೆ. ವಂಶವಾಹಿಗಳ ಬಗ್ಗೆ, ಡಿಎನ್ಎ ಪ್ರತಿಕೃತಿ ರಚನೆ, ಡಿ.ಎನ್.ಎ – ಆರ್.ಎನ್.ಎ ನ್ಯೂಕ್ಲಿಕ್ ಆಮ್ಲಗಳನ್ನು ನಕಲುಮಾಡುವುದು, ಆರ್.ಎನ್.ಎ ಮತ್ತು ಪ್ರೋಟೀನ್ ರಚನೆಯಂತಹ ವಿಷಯಗಳ ಬಗ್ಗೆ, ನಮ್ಮ ತಿಳುವಳಿಕೆ ಹೆಚ್ಚಿಸಿಕೊಳ್ಳುವ ಸಲುವಾಗಿ ನಡೆಸುವ ಪ್ರಯೋಗಗಳಲ್ಲಿ, ವೈರಾಣುಗಳನ್ನು ಉಪಯೋಗಿಸಿಕೊಳ್ಳಲಾಗುತ್ತದೆ. ವೈರಾಣುಗಳು ಅತ್ಯಂತ ಸರಳ ದೇಹರಚನೆಯುಳ್ಳ ವ್ಯವಸ್ಥೆಗಳು ಎಂಬುದೇ, ಅಣ್ವಿಕ ಜೀವವಿಜ್ಞಾನ ಹಾಗೂ ಕೋಶೀಯ ಜೀವವಿಜ್ಞಾನದ ಮೂಲಭೂತ ತತ್ವಗಳನ್ನು ಅರಿಯಲು ಇವುಗಳನ್ನು ಬಳಸುವುದರ ಹಿಂದಿನ ಪ್ರಮುಖ ಕಾರಣ.

ವೈದ್ಯಕೀಯ ಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ ವೈರಾಣುಗಳನ್ನು ಹಲವಾರು ರೀತಿಯಲ್ಲಿ ಬಳಸುತ್ತಾರೆ; ಅವುಗಳಲ್ಲಿ ಪ್ರಮುಖವಾಗಿ ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ಮತ್ತು ಅನುವಂಶಿಕ ರೋಗಗಳ ಆಳವಾದ ಅಧ್ಯಯನದಲ್ಲಿ ಹಾಗೂ ಔಷಧಿಗಳ ವಾಹಕಗಳಾಗಿ ಉಪಯೋಗಿಸಲಾಗುತ್ತದೆ. ವೈರಾಣುಗಳಲ್ಲಿರುವ ರೋಗಕಾರಕ ಜೀನ್ಗಳನ್ನು ಹೊರತೆಗೆದು, ಅವುಗಳನ್ನು ನಿರುಪದ್ರವಿಗಳನ್ನಾಗಿ ಮಾಡಿ, ಅವುಗಳ ಒಳಗೆ ಔಷಧಿಗಳನ್ನು ಇರಿಸಿ, ರೋಗಿಗೆ ನೀಡಲಾಗುತ್ತದೆ. ಸಾಮಾನ್ಯ ವಿಧಾನಗಳ ಮೂಲಕ ಸಾಧಿಸಲಾಗದ ಮಾಯಕ ಫಲಿತಾಂಶಗಳನ್ನು, ವೈರಾಣು ವಾಹಕಗಳ ಮೂಲಕ ಸಾಧಿಸಬಹುದು ಎಂದು ಕಂಡುಬಂದಿದೆ. ರೋಗಕಾರಕ ಬ್ಯಾಕ್ಟೀರಿಯಾವನ್ನು ಗುರಿಯಾಗಿಸಿ, ನಾಶಮಾಡುವ ಚಿಕಿತ್ಸಕ ವಿಧಾನದಲ್ಲಿ ‘ಬ್ಯಾಕ್ಟೀರಿಯೋಫಾಜ್’ ವೈರಾಣುಗಳನ್ನು ಬಳಸಲಾಗುತ್ತದೆ.

ನ್ಯಾನೋ ತಂತ್ರಜ್ಞಾನದಲ್ಲೂ ವಾಹಕಗಳಾಗಿ ವೈರಾಣುಗಳ ಬಳಕೆ ಮಾಡಲಾಗುತ್ತದೆ; ತಳೀಯವಾಗಿ ಮಾರ್ಪಡಿಸಲಾದ ಜೀನ್ ಅನುಕ್ರಮಗಳನ್ನು, ಅತಿಥೇಯ ಜೀವಕೋಶಕ್ಕೆ ನ್ಯಾನೋ ಮಟ್ಟದಲ್ಲಿ ವಿತರಣೆ ಮಾಡಲು, ಅತ್ಯಂತ ಸಣ್ಣ ಗಾತ್ರದ ವೈರಾಣುಗಳನ್ನು ಪರಿಣಾಮಕಾರಿಯಾಗಿ ಬಳಸಬಹುದಾಗಿದೆ.

ವೈರಾಣುಗಳನ್ನು ಜೀನ್ ವಾಹಕಗಳಾಗಿ  ಬಳಸಿ, ಕುಲಾಂತರಿ ಸಸ್ಯಗಳನ್ನು ಹಾಗೂ ಪ್ರಾಣಿಗಳನ್ನು ಹುಟ್ಟುಹಾಕಬಹುದು; ಇದರಿಂದ ಸಸ್ಯಗಳು ಹಾಗೂ ಪ್ರಾಣಿಗಳು, ಹೆಚ್ಚು ಫಲದಾಯಕವಾಗುತ್ತವೆ ಎಂದು ಕಂಡುಬಂದಿದೆ.

ವಂಶವಾಹಿ ಚಿಕಿತ್ಸೆಯ ಮೂಲಕ, ಕಾರ್ಯಪ್ರವೃತ್ತ ಜೀನನ್ನು ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ಪೀಡಿತ ರೋಗಿಯ ಜೀವಕೋಶದೊಳಗೆ ಪರಿಚಯಿಸಲು, ‘ಅಡೆನೋವೈರಾಣು’ಗಳು ಅತ್ಯಂತ ಪರಿಣಾಮಕಾರಿ ಎಂಬುದು ಸಾಬೀತಾಗಿದೆ; ಇದರ ಮೂಲಕ ಹಲವು ಬಗೆಯ ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ಗಳು ಉಪಶಮನಗೊಂಡಿವೆ ಎಂದು ಕಂಡುಬಂದಿದೆ.

ಎಡ್ವರ್ಡ್ ಜೆನ್ನರನು ಮೊದಲ ಬಾರಿಗೆ ಸಿಡುಬಿನ ವಿರುದ್ಧ ಉಪಯುಕ್ತ ಲಸಿಕೆಯನ್ನು ಕಂಡುಹಿಡಿದಾಗ, ಆತ ಬಳಸಿದ್ದು ನಿರುಪದ್ರವಿಯಾಗಿಸಿದ್ದ ವೈರಾಣುಗಳನ್ನೇ; ಇದೇ ವಿಧಾನವು ಇಂದಿಗೂ ಚಾಲ್ತಿಯಲ್ಲಿದ್ದು, ವೈರಾಣುವಿನ ರೋಗಕಾರಕ ಅಂಶವನ್ನು ತೆಗೆದುಹಾಕಿ, ಉಳಿದ ವೈರಾಣುವಿನ ಭಾಗಗಳನ್ನು ಲಸಿಕೆಯ ರೂಪದಲ್ಲಿ ಸಂಸ್ಕರಿಸಿ, ಬಳಸಲಾಗುತ್ತದೆ; ನೂರಾರು ರೋಗಗಳ ವಿರುದ್ಧ ಜಾಗತಿಕವಾಗಿ ಮಾನವಕುಲವು ಸಾಧಿಸಿರುವ ಗೆಲುವಿನಲ್ಲಿ, ವೈರಾಣುಗಳು ಪ್ರಮುಖ ಪಾತ್ರ ವಹಿಸಿವೆ. ದಡಾರ, ಗದ್ದಬಾವು ಹಾಗೂ ರುಬೇಲ್ಲಾ ಸೋಂಕು ತಡೆಗಟ್ಟಲು ನೀಡುವ ಎಂ.ಎಂ.ಆರ್ ಲಸಿಕೆ, ಚಿಕನ್ ಪಾಕ್ಸ್ ಅಥವಾ ಸಣ್ಣಮ್ಮ ಸೋಂಕು ತಡೆಗಟ್ಟಲು ನೀಡುವ ಲಸಿಕೆ, ಪೋಲಿಯೋ ಲಸಿಕೆ – ಇವೆಲ್ಲವೂ ವೈರಸ್ಗಳನ್ನು ಕೊಂದು ಅಥವಾ ನಿಶಕ್ತಗೊಳಿಸಿ ತಯಾರಿಸಲಾದ ಲಸಿಕೆಗಳೇ.

ನಿರ್ದಿಷ್ಟ ಜೀವಕೋಶಗಳಲ್ಲಿ ನಿರ್ದಿಷ್ಟ ಕಿಣ್ವಗಳನ್ನು ಸೇರಿಸಲು ಕೂಡ, ವೈರಾಣುಗಳ ಸಹಾಯ ಪಡೆಯಲಾಗುತ್ತದೆ; ಈ ಕಿಣ್ವಗಳ ಅಭಿವ್ಯಕ್ತಿಯ ಫಲವಾಗಿ, ನಿಷ್ಕ್ರಿಯವಾಗಿದ್ದ ಹಲವು ಉಪಯುಕ್ತ ಜೀವರಾಸಾಯನಿಕ ಮಾರ್ಗಗಳು ಸಕ್ರಿಯಗೊಳ್ಳುತ್ತವೆ ಮತ್ತು ಮಾನವನ ಆರೋಗ್ಯದ ನಿರ್ವಹಣೆಯಲ್ಲಿ ಸಹಕಾರಿಯಾಗುತ್ತವೆ.

ಜೈವಿಕ ಕೀಟ ನಿಯಂತ್ರಣದಲ್ಲಿ ವೈರಾಣುಗಳನ್ನು ಬಳಸಬಹುದು ಎಂದು ಕೃಷಿತಜ್ಞರು ಸಾರಿದ್ದಾರೆ; ಹಾನಿಕಾರಕ ಕೀಟಗಳನ್ನು ನಿಯಂತ್ರಿಸಲು ‘ನ್ಯೂಕ್ಲಿಯಾರ್ ಪಾಲಿಹೆಡ್ರೋಸಿಸ್ ವೈರಸ್’ನಂತಹ ಕೆಲವು ನಿರ್ದಿಷ್ಟ ವೈರಾಣುಳನ್ನು ಬಳಸಿ, ಬೆಳೆಗಳನ್ನು ಕೀಟಗಳ ಹಾವಳಿಯಿಂದ ಕಾಪಾಡಿಕೊಳ್ಳಬಹುದು ಎಂದು ಕಂಡುಬಂದಿದೆ.

ಮೂರನೆಯ ಜಾಗತಿಕ ಮಹಾಯುದ್ಧವೇನಾದರೂ ನಡೆದರೆ, ಅದು ಜೈವಿಕ ಶಸ್ತ್ರಾಸ್ತ್ರಗಳ ಬಳಕೆಯ ಮೂಲಕವೇ ಎನ್ನುತ್ತಾರೆ ಹಲವು ಸಂಶೋಧಕರು ಹಾಗೂ ಇತಿಹಾಸತಜ್ಞರು. ಇದು ಎಷ್ಟರಮಟ್ಟಿಗೆ ಸತ್ಯಕ್ಕೆ ಹತ್ತಿರ ಎಂಬುದು ಮನಗಾಣಲು ಅಪಾರ ಲೋಕಜ್ಞಾನ ಬೇಕು; ಆದರೆ, ಅತ್ಯಂತ ಅಪಾಯಕಾರಿ ಜೈವಿಕ ಶಸ್ತ್ರಾಸ್ತ್ರಗಳ ತಯಾರಿ ಅಷ್ಟೇನೂ ಕಷ್ಟವಲ್ಲ. ಜೈವಿಕ ಶಸ್ತ್ರಾಸ್ತ್ರವೆಂದರೆ ಬೃಹತ್ ಫಿರಂಗಿ, ತುಪಾಕಿ, ಪಿಸ್ತೂಲು, ಮದ್ದುಗುಂಡು – ಇವ್ಯಾವುದೂ ಅಲ್ಲ; ಕೆಲವೇ ಕೆಲವು ಗ್ರಾಂಗಳಷ್ಟು ಅಪಾಯಕಾರಿ ಮಾರಣಾಂತಿಕ ರೋಗಕಾರಕ ಸೂಕ್ಷ್ಮಾಣುಜೀವಿ ಸಾಕು. ಕ್ಷಣಮಾತ್ರದಲ್ಲಿ, ಗಾಳಿಯ ಅಥವಾ ನೀರಿನ ಮೂಲಕ ಹರಡಬಲ್ಲ ರೋಗಕಾರಕ ಸೂಕ್ಷ್ಮಾಣುಜೀವಿಗಳು ಸೃಷ್ಟಿಸುವ ಅಲ್ಲೋಲ ಕಲ್ಲೋಲ ಬಹಳ ದೊಡ್ಡ ಮಟ್ಟದ್ದೇ! ಇಂತಹ ಜೈವಿಕ ಶಸ್ತ್ರಾಸ್ತ್ರಗಳ ತಯಾರಿಕೆಯಲ್ಲಿ ಬಳಸಲಾಗುವ ಸೂಕ್ಷ್ಮಾಣುಜೀವಿಗಳ ಪಟ್ಟಿಯಲ್ಲಿ ಮೊದಲ ಹೆಸರು ಈ ವೈರಸ್ಗಳದ್ದೇ. ಇದಕ್ಕೆ ಕಾರಣ, ಈ ವೈರಾಣುಗಳು, ಜೀವಕೋಶದ ಹೊರಗೆ ನಿರ್ಜೀವ ಧೂಳಿನ ಕಣದಂತೆ ಇದ್ದು, ಗಾಳಿಯ ಅಥವಾ ನೀರಿನ ಮೂಲಕ ಯಾವುದೇ ಜೀವಿಯ ದೇಹ ಸೇರಿದರೆ, ಸುಪ್ತ ಸ್ಥಿತಿಯಿಂದ ಹೊರಬಂದು, ಸಕ್ರಿಯವಾಗಿ, ತನ್ನ ಗುಣವಿಶೇಷವಾದ ರೋಗವನ್ನು ಅತಿಥೇಯ ಜೀವಿಯಲ್ಲಿ ಸುಲಭವಾಗಿ ಉಂಟುಮಾಡುತ್ತವೆ. ಇದು ನಿಜಾರ್ಥದಲ್ಲಿ ಜಗದ ಒಳಿತಿಗೆ ಉಪಯುಕ್ತವಲ್ಲದಿದ್ದರೂ, ಮಾನವನು ಕಂಡುಕೊಂಡ ವೈರಾಣುಗಳ ಅನ್ವಯಗಳಲ್ಲಿ ಒಂದಾದ್ದರಿಂದ, ಮಾನವನಿರ್ಮಿತ  ಉಪಯುಕ್ತತೆ ಎಂದು ಪರಿಗಣಿಸಬೇಕಾಗಿದೆ.

ತ್ಯಾಜ್ಯನೀರಿನ ಜೈವಿಕ ಸಂಸ್ಕರಣ ಪ್ರಕ್ರಿಯೆಗಳಲ್ಲಿ ವೈರಾಣುಗಳನ್ನು, ಅದರಲ್ಲೂ ಮುಖ್ಯವಾಗಿ, ಬ್ಯಾಕ್ಟೀರಿಯೋಫಾಜ್ಗಳನ್ನೂ ಬಳಸಲಾಗುತ್ತದೆ; ಪ್ರಯೋಗಾಲಯಗಳೊಳಗೆ ಅಪಾರ ಪ್ರಮಾಣದಲ್ಲಿ ಈ ನಿರ್ದಿಷ್ಟ ವೈರಾಣುಗಳನ್ನು ಸಂಶ್ಲೇಷಿಸಿ ಮತ್ತು ಸಂಸ್ಕರಿಸಿ, ತ್ಯಾಜ್ಯನೀರಿನಲ್ಲಿ  ಅವುಗಳನ್ನು ಪರಿಚಯಿಸಿದರೆ ನಮ್ಮ ಕೆಲಸ ಮುಗಿದ ಹಾಗೇ! ನಿರ್ದಿಷ್ಟ ಹಾನಿಕಾರಕ ಸೂಕ್ಷ್ಮಾಣುಜೀವಿಯನ್ನು ನಿರ್ದಿಷ್ಟ ವೈರಾಣುವು ಗುರಿ ಮಾಡಿ, ಆವುಗಳನ್ನು ಸುಲಭವಾಗಿ ನಿವಾರಿಸುತ್ತವೆ; ಸಂಸ್ಕರಣ ಪ್ರಕ್ರಿಯೆಯ ನಂತರ, ಈ ವೈರಾಣುಗಳನ್ನು ಹಿಂಪಡೆದು, ಸ್ಫಟಿಕೀಕರಣಗೊಳಿಸಿ, ಮತ್ತೊಮ್ಮೆ ಉಪಯೋಗಿಸಲು ಶೇಖರಿಸಿಡಬಹುದು.

ಮಾನವಕುಲವನ್ನು ಮುನ್ನಡೆಸಿಕೊಂಡು ಹೋಗುವಂತಹ ಪ್ರಧಾನಕಾರ್ಯದಲ್ಲೂ, ಈ ಪುಟ್ಟ ವೈರಾಣುಗಳ ಪಾತ್ರವಿದೆಯೆಂದರೆ ನಂಬುತ್ತೀರಾ? ಮಾನವನ ವಿಕಾಸದ ಪ್ರಾಥಮಿಕ ಪ್ರಕ್ರಿಯೆಯಲ್ಲಿ, ವೈರಸ್ಗಳ ಮೂಲಕ ಕೆಲವು ಪ್ರಮುಖ ಜೀನ್ಗಳು, ಮಾನವನ ವಂಶವಾಹಿಯ ಅವಿಭಾಜ್ಯ ಅಂಗಗಳಾಗಿವೆ. ಈ ಜೀನ್ ನ ಅನುಪಸ್ಥಿತಿಯಲ್ಲಿ, ಗರ್ಭಕೋಶದಲ್ಲಿ ಮಾಸುಚೀಲದ ರಚನೆಯು ಪರಿಪೂರ್ಣವಾಗಿ ಆಗುವುದು ಸಾಧ್ಯವಿಲ್ಲ; ಅಂದರೆ, ಮಾನವನಿಗಿಂತಾ ಮೊದಲೇ ಭೂಮಿಯಲ್ಲಿದ್ದ ವೈರಸ್ಗಳು, ಮಾನವನಿಗೆ ಕೊಡಮಾಡಿದ ಅತ್ಯುಪಯುಕ್ತ ವಂಶವಾಹಿ ಅನುಕ್ರಮದ ಕಾರಣ, ಇಂದಿನವರೆಗೂ ಸಮಂಜಸವಾದ ಗರ್ಭಧಾರಣೆ ಹಾಗೂ ಯುಕ್ತವಾದ ಮಾಸುಚೀಲ, ಹೊಕ್ಕಳುಬಳ್ಳಿಯ ರಚನೆಯನ್ನೂ ಒಳಗೊಂಡಂತೆ ಸರಿಯಾದ ಗರ್ಭಾವಸ್ಥೆ ಹಾಗೂ ಆರೋಗ್ಯವಂತ ಶಿಶುವಿನ ಜನನ ಮುಂದುವರೆದಿದ್ದು, ಇದರ ಮುಖಾಂತರ, ಮಾನವಕುಲದ ಉಳಿವಿಗೆ ವೈರಾಣುಗಳು ಎಷ್ಟು ಪ್ರಮುಖ ಕೊಡುಗೆ ನೀಡಿವೆ ಎಂಬುದನ್ನು ನಾವು ಅರ್ಥೈಸಿಕೊಳ್ಳಬಹುದು.

ಸಾಮಾನ್ಯವಾಗಿ, ಯಾವುದೇ ಸೂಕ್ಷ್ಮಾಣುಜೀವಿಯೂ, ತಮ್ಮ ಅಪಾಯಕಾರಿ ಗುಣವಿಶೇಷಗಳಿಂದ ಜನರಲ್ಲಿ ಭಯ ಹುಟ್ಟಿಸಿ, ಕುಖ್ಯಾತವಾಗಿ, ನಂತರದ ಸಂಶೋಧನೆಗಳಿಂದ ತಮ್ಮ ಉಪಕಾರಿ ಪ್ರವೃತ್ತಿಯನ್ನೂ ಹೊರಗೆಡವಿ, ಪ್ರಖ್ಯಾತವಾಗುತ್ತವೆ; ಹಾಗಾಗಿ, ಈಗಾಗಲೇ ನಮಗೆ ತಿಳಿದಿರುವ ಪ್ರಕಾರ, ವೈರಾಣುಗಳನ್ನೂ ಒಳಗೊಂಡಂತೆ ಎಲ್ಲಾ ಬಗೆಯ ಸೂಕ್ಷ್ಮಾಣುಜೀವಿಗಳೂ ಉಪಕಾರಿಗಳೂ ಹೌದು, ಅಪಾಯಕಾರಿಯೂ ಹೌದು; ಅವುಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಹೆಚ್ಚೆಚ್ಚು ತಿಳಿದುಕೊಂಡಷ್ಟೂ ನಾವು ಅವುಗಳ ಅಪಾಯದಿಂದ ಸುಲಭವಾಗಿ ಪಾರಾಗಬಹುದು ಹಾಗೂ ಅವುಗಳ ಉಪಕಾರವನ್ನು ಸಂಪೂರ್ಣವಾಗಿ ಪಡೆಯಬಹುದಾಗಿದೆ.

– ಕ್ಷಮಾ ವಿ ಭಾನುಪ್ರಕಾಶ್